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शोधार्थी
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Read moreइस लेख में नॉज़िक की चर्चित पुस्तक ‘एनार्की, स्टेट एण्ड यूटोपिया’ पर तीन विद्वानों द्वारा परिचर्चा की गई है – सम्पादक (प्रथम खण्ड : जेम्स
Read more(माइकल वाल्ज़र के विचारों को अभिव्यक्त करने वाला यह लेख स्वयं वाल्ज़र द्वारा लिखित है. यह लेख पूरी समुदायवादी परम्परा को व्यक्त करता है. वाल्जर
Read moreजोसेफ एल. स्टास : जुर्गेन हेबरमॉस की लोकतान्त्रिक सिद्धान्तों के प्रति प्रतिबद्धता को समझने में हमें उनकी दो महत्वपूर्ण पुस्तकों – ‘द स्ट्रक्चरल ट्रांसफार्मेशन ऑफ
Read moreनाथन विडर : जब समाज विज्ञान व मानविकी में फूको के विचारों का महत्व घट रहा है, वहीं यह पुनर्विचार आवश्यक है कि क्या उसकी
Read moreराबर्ट एमडूर : 1950 व 1960 के दशक में यह शंका व्यक्त की जाने लगी कि ‘राजनीतिक सिद्धान्त’ विषय ही खत्म हो गया. इसैया बर्लिन
Read moreमाइकल क्लार्क एवं रिक टिल्मैन : लोकतान्त्रिक सिद्धान्तों एवं व्यवहार का उद्भव एक लम्बी एवं श्रमसाध्य प्रक्रिया रही है. इसके बावजूद, पश्चिमी जगत में लोकतन्त्र
Read moreकैरेन विन्ट्जेज़ : सिमॉन द् बुवॉ की कृति ‘दि सेकेण्ड सेक्स’ समकालीन नारीवाद के लिए एक ऐसा दार्शनिक आधार प्रदान करती है कि इसे समकालीन
Read moreलिरॉय ए. कपूर : हाल के वर्षों में सहभागी सरकारों की संभाव्यता एवं महत्व पर लगातार बहसें हो रहीं हैं. हन्ना एरेन्ट के राजनीतिक दर्शन
Read moreथामस आर. बेट्स : एन्टोनियो ग्राम्शी 20वीं सदी के पूर्वाद्ध का एक महत्वपूर्ण मार्क्सवादी विचारक था. ग्राम्शी के देश इटली में उस समय मुसोलिनी के
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